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Sunday, April 12, 2020

इन 5 राज्यों के प्रयास ‘रोल मॉडल स्टेट’ के समान, कर्नाटक में बिना किट कोई बाहर नहीं निकलता तो केरल ने क्वारैंटाइन समय दोगुना किया

(प्रमोद कुमार) देश में लॉकडाउन के बाद भी काेरोना का प्रकोप थम नहीं रहा है। रोज नए मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन कुछ प्रदेश ऐसे हैं जो जागरुकता, कानूनी सख्ती और त्वरित निर्णयों से कोरोना से जंग में बेहतर स्थिति में हैं। इन प्रदेशों की खास बात ये है कि इन्होंने लाॅकडाउन में सख्ती का समय बढ़ाने का सरल रास्ता नहीं खोजा। बल्कि, उपलब्ध संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल से अच्छे परिणाम दिए।

कर्नाटक: विदेशियों की भरमार, बिना किट बाहर नहीं निकलते
कर्नाटक में 9 मार्च को पहला केस और 11 मार्च को पहली मौत हुई। राजधानी बेंगलुरू आईटी हब है,इसलिए यहां विदेशी और विदेश आने-जाने वालों की भरमार है। 28 मार्च को यहां 18 संक्रमित मिले। संक्रमितों के मामले मेंमहाराष्ट्र और केरल के बाद कर्नाटक तीसरे नंबर पर था। लेकिन, अब यह स्टेट 12वें नंबर पर है। पड़ताल में सामने आया कि सरकार ने तो लॉकडाउन में छूट दे रखी थी। दोपहर 2 बजे तक किराना-दूध-सब्जी मिल रही थी।कॉलोनी के स्टोर रात तक भी खुलते हैं। नाॅनवेज की दुकानें भी खुल रही हैं। लेकिन, यहां के लोगों ने इसे गंभीरता से लिया। बीमार लोगों ने खुद को क्वारैंटाइन किया। बिना किट बाहर नहीं निकले और सोशल डिस्टेंसिंग रखी। जिनके पास किट नहीं थी, वे रेनकोट पहनकर निकले। लोगों की जागरुकता से कम्युनिटी ट्रांसमिशन जैसी स्थिति नहीं है। शनिवार को कर्नाटक में केवल 8 केस मिले।

केरल: सबसे ज्यादा टेस्ट, 14 नहीं 28 दिन का क्वारैंटाइन
देश में पहला मामला 30 जनवरी को केरल में आया था। शुरुआत में संक्रमण के मामले मेंमुंबई के बाद केरल दूसरे नंबर पर था। अब केरल 10वें नंबर पर है। केरल में हर तीन गांव के बीच 2 स्वास्थ्य केंद्र हैं। यानी हर 4 किमी पर एक स्वास्थ्य केंद्र, देश में सबसे ज्यादा। इसलिए हर संदिग्ध को आइसोलेशन वार्ड में रखना संभव हुआ। संदिग्ध तलाशे और सर्दी-खांसी का जो मरीज दिखा, उसको तुरंत निगरानी में लिया। होम क्वारैंटाइन का समय14 नहीं 28 दिन रखी गई। एक लाख 70 हजार लोग कड़ी निगरानी में होम क्वारैंटाइन हैं। देश में 9 अप्रैल तक कुल 1 लाख 20 हजार टेस्ट हुए, वहीं केरल में सर्वाधिक 12,710 टेस्ट हुए।

ओडिशा: लॉकडाउन, हेल्पलाइन नंबर और वेब पोर्टल जैसे कदम पहले ही उठा लिए
ओडिशा ने कोरोना से निपटने के लिए सबसे पहले कदम उठाए,इसीलिए यहां कोरोना काबू में है। सबसे पहले 3 मार्च को वेब पोर्टल बनाकर विदेश से आने वालों से रजिस्ट्रेशन करने को कहा। करीब 5 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाए। सभी रजिस्ट्रेशन करवाने वालों को सरकार ने होम क्वारैंटाइन रहने पर 15-15 हजार रुपए दिए। 13 मार्च को कोरोना हेल्प लाइन नंबर जारी कर दिया, जो 84 हजार लोग प्रदेश के बाहर से आए, उनके लिए पंचायत स्तर पर ही 7 हजार आइसोलेशन वार्ड तैयार किए गए। 5 जिलों और 8 बड़े शहरों को नेशनल लॉकडाउन से एक सप्ताह पहले ही बंद कर दिया था। होम डिलेवरी के अलावा राशन और सब्जी की दुकानें रोज 12 घंटे यानी सुबह 6 से शाम 6 बजे तक खोलीं, जिससे भीड़ नहीं हुई।

छत्तीसगढ़: जनवरी से विदेश जाने वालों को स्कैन कर लॉकडाउन से पहले खोजा
कोराेना से लड़ने में छत्तीसगढ़ को रोल मॉडल कहा जा सकता है। यहां पहला मामला 19 मार्च को आया और 10 वां 4 अप्रैल को। इन 10 में से 9 लोग ठीक हो चुके हैं। यहां लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सामानों के लिए बाजार दोपहर 1 बजे तक खुले। हाट बाजार भी लगे। तब्लीगी जमात कार्यक्रम में शामिल शख्स भी संक्रमित मिला। इन सबके बावजूद स्थिति बेहतर है। इसका कारण है राज्य सरकार का वह फैसला, जिसमें विदेश जाने वालों का पूरा रिकॉर्ड खंगाल लिया। 1 जनवरी से लेकर 24 मार्च तक का एक-एक व्यक्ति का डेटा और स्थिति सरकार ने पता की। कौन व्यक्ति कब विदेश गया और कब लौटा? वह कहां है? ऐसी तमाम जानकारियों एकत्रित करने के लिए दो महिला प्रशिक्षु आईपीएस को नियुक्त किया गया।

उत्तराखंड: बीमारी छिपाने पर हत्या के प्रयास का केस, 180 लोग खुद आए
उत्तराखंड में स्थिति थोड़ी बेहतर हुई ही थी कि 2 से 6 अप्रैल के बीच कोराेना के 24 नए मामले आए। ये सभी तब्लीगी जमात से संबंधित थे। डीजीपी ने 6 अप्रैल को सख्त आदेश दिया कि जो भी व्यक्ति जानकारी छुपाएगा, उस पर हत्या के प्रयास का मुकदमा बनेगा। जितने व्यक्तियों को उसके कारण संक्रमण होगा, उतने मुकदमे बनेंगे। अगर किसी संक्रमित की जान गई तो हत्या का मुकदमा दर्ज होगा। देश का पहला राज्य है, जिसने ये निर्णय लिया। इसके निर्णय का असर रहा कि 182 छुपे हुए लोगों में से 180 सामने आ गए। इनकी जानकारी पर बाकी 2 जमातियों को ढूंढकर उन पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया। परिणाम, आखिरी तीन दिनों में एक भी नया मामला सामने नहीं आया है।



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आईटीबीपी के जवान लोगों को भोजन कराते हुए। देश में ऐसे दृश्य दूसरी जगह भी देखने को मिल रहे हैं। सेना के जवान आमजन की मदद के लिए मुश्किल घड़ी में पूरी ताकत के साथ आगे आ रहे हैं।

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