चीन के जिस वुहान शहर से कोरोनावायरस निकला, वहां से करीब 2.5 हजार किमी दूर है सिक्किम की राजधानी गंगटोक। जबकि, वुहान से 12 हजार किमी से भी ज्यादा दूर है अमेरिका का न्यूयॉर्क। एक तरफ वुहान से इतनी दूर स्थित न्यूयॉर्क में कोरोना के 1.5 लाख मरीज हैं। दूसरी तरफ, इतने पास होकर भी सिक्किम में कोरोना का एक भी मरीज नहीं है।
सिक्किम भारत का ऐसा राज्य है, जहां 23 अप्रैल तक कोरोना का एक भी केस नहीं मिला है। यहां, अब तक कोरोना के 81 संदिग्ध मिले तो थे, लेकिन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। 7 लाख से ज्यादा की आबादी वाले सिक्किम नेकोरोना के खिलाफ लड़ाई जनवरी में उसी समय शुरू कर दी थी, जब कोरोना ने चीन समेत बाकी देशों में पैर पसारने शुरू ही किए थे। 28 जनवरी से ही यहां की सरकार ने राज्य के दो एंट्री पॉइंट- रंगपो और मेल्ली पर स्क्रीनिंग जरूरी कर दी थी।
राज्य के मुख्यमंत्री पीएस गोले कहते हैं, 'सख्त निगरानी की वजह से हम कोविड-19को रोकने में सफल रहे हैं। हम देश के एकमात्र राज्य हैं, जहां अब तक कोई मामला नहीं आया। ये सब हमारे वॉरियर्स और नागरिकों के प्रयासों से हुआ है।' हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अभी भी हमें सतर्क रहने की जरूरत है।
तीन तरफ से दूसरे देशों से घिरा हुआ है सिक्किम
तीन तरफ से हिमालय से घिरे हुए सिक्किम की उत्तरी सीमा तिब्बत, पश्चिमी सीमा नेपाल और पूर्वी सीमा भूटान से लगती है। जबकि, दक्षिणी सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है।
सिक्किम नाथुला के जरिए तिब्बत-चीन से एक ट्रेडिंग पोस्ट भी साझा करता है। जहां से रोजाना 20 ट्रक सीमा पार से आते हैं। इन ट्रकों से चावल, आटा, मसाले, चाय, डेयरी प्रोडक्ट और बर्तन आते हैं।
पहाड़ी इलाका होने की वजह से यहां कोई रेलवे लाइन और स्टेशन भी नहीं है। यहां का पहला पाक्योंग एयरपोर्ट सितंबर 2018 में शुरू हुआ है।
कोरोना से लड़ने के लिए सिक्किम ने क्या किया?
1) पर्यटकों की एंट्री रोकी : सिक्किम को अपनी जीडीपी का करीब 8% टूरिज्म से मिलता है। सिक्किम टूरिज्म डिपार्टमेंट की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, टूरिज्म को राज्य को 2016-17 में 1.44 लाख से ज्यादा का रेवेन्यू मिला था। फिर भी यहां की सरकार ने 5 मार्च से विदेशी और 17 मार्च से घरेलू पर्यटकों की एंट्री पर रोक लगा दी थी। राज्य में सालाना 12 से 14 लाख विदेशी और घरेलू पर्टक आते हैं। इनमें से भी सबसे ज्यादा मार्च-अप्रैल में आते हैं। एक तरह से 17 मार्च से ही सिक्किम सेल्फ-क्वारैंटाइन में चला गया था। यहां घरेलू पर्यटकों के आने पर अक्टूबर तक रोक है। वहीं, विदेशी पर्यटकों की एंट्री पर भी इस साल के अंत तक रोक रहेगी। इसके साथ ही सिक्किम के नाथुल दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता भी बंद रहेगा।
2) दूसरे राज्यों से लौटने वाले नागरिकों को क्वारैंटाइन किया : सिक्किम ने दूसरे राज्यों की तुलना में काफी पहले से ही संदिग्ध लोगों की निगरानी और स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी। दूसरे राज्यों से सिक्किम लौट रहे राज्य के नागरिकों को सरकार के बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटर में 14 दिन रखा गया। इनके अलावा, दूसरे राज्यों से लौटने वाले छात्रों को भी इन्हीं सेंटरों में 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन किया गया।
3) लॉकडाउन का अच्छे से पालन किया : सिक्किम के लोगों ने सख्ती के बिना भी लॉकडाउन का अच्छे से पालन किया। यहां सिर्फ जरूरी सेवाएं ही चालू हैं। अगर लोग किराना या सब्जी खरीदने के लिए बाहर निकलते भी हैं, तो भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं। राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों और रोजाना कमाने वाले कामगारों के साथ-साथ जरूरतमंदों की पहचान कर उन्हें चावल, आलू, तेल और जरूरी सामान भी बांटे हैं।
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